Diya Jethwani

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वफ़ा ना रास आईं..... 💔 (11)

देरी से भाग डालने के लिए क्षमा चाहतीं हूँ..... कुछ अन्य कार्यों में थोड़ा व्यस्त हो गई थीं.....। आप सभी  साथ बनाए रखें....। प्रस्तुत हैं अगला भाग.....। 


मन मारकर मैं भी मम्मी के पीछे पीछे चल दी....। दोनों भाई दूसरे कमरे में गहरी नींद में थे....। कुछ देर की साधारण बातचीत के बाद मम्मी हमें ये बोलकर की "तुम लोग भी थोड़ी देर आराम कर लो " दूसरे कमरे में चलीं गयी...। 
मम्मी के जातें ही पतिदेव बोले.... जो कभी कुछ नहीं बोलते थे... शायद उन को आज बोलने का मौका मिल गया था....। 
" लगता हैं तेरे यहाँ आने की किसी को कोई खास खुशी नहीं हैं.... तु तो बढ़ा चहक रही थी.... आठ दिन जाना... एक गिलास पानी भी तो पूछा नहीं गया हमसे.... "

वो मुझे लगता हैं मम्मी की तबियत थोड़ी ठीक नहीं हैं.... इसलिए उठने के बाद वापस सो गयीं.... वरना मम्मी कभी ऐसा नहीं करतीं हैं.....। आप छोड़ो... उन को आराम करने दो.... मैं ले आतीं हूँ पानी....। 


चाय भी बना आना.... मेरी तबियत खराब नहीं हैं.... इसलिए मुझे तो नींद नहीं आने वाली...। 


हां.... मैं ले आतीं हूँ....। 

ऐसा कहकर मैं घर में किचन ढूंढने लगी.... क्योंकि मेरे लिए तो ये घर नया ही था...। पर रसोई पर तो ताला लगा हुआ था.....। मैं फिर सोच में पड़ गयीं की मम्मी ने थोड़ी देर पहले ही पापा को चाय बनाकर दी होगी...। फिर वापस ताला क्यूँ लगाया....। रसोई को ताला लगाकर सोना मेरी मम्मी की आदत थीं.... पर एक बार खोल देने के बाद मम्मी सीधे रात में ही ताला दोबारा लगातीं थीं...। सब कुछ समझ से बाहर था मेरे... पर अब रसोई घर की चाबी कहां से लाऊँ....? 
ना चाहते हुए भी मुझे मम्मी को जगाने के लिए जाना पड़ा... पर वहां देखा तो मम्मी जाग ही रहीं थीं....। मम्मी से चाबी पूछने पर उन्होंने जगह बता दी... पर एक बार भी वजह नहीं पूछी की चाबी क्यूँ चाहिए....। 
मैं चाबी लेकर रसोई से पानी ले आई ओर चाय भी बनाने रख आई.....। थोड़ी देर में हम दोनों ने चाय पी उसके बाद पतिदेव जी बाहर चल दिए....। 
आठ बज  चुके थे पर मम्मी और भाई अभी तक कमरे से बाहर नहीं आए थे...। चूंकि पतिदेव जी कल ट्रेन में जो खाना खाया था उसके बाद कुछ नहीं खाया था तो मैं जानती थीं उन को घर आतें ही नाश्ता तो चाहिए....। मैं फिर से मम्मी के पास गयीं ओर उनसे नाश्ते के लिए कहा... तो उन्होंने कहा की जो वो खाता है बना ले...। भाइयों के लिए भी बना देना...। मेरी आज तबियत साथ नहीं दे रहीं हैं....। मैं मम्मी के पास गयीं ओर उनसे तबियत का पूछा की आखिर क्या तकलीफ हो रहीं हैं....!! 
लेकिन मम्मी ने कुछ ठीक से जवाब नहीं दिया ओर नाश्ता बनाने के लिए कहा....। 
मैं अपना सा मुंह लेकर चल दी....। पता नहीं क्यूँ पर मम्मी का ये रवैया तो मैंने बिल्कुल नहीं सोचा था...। 

मुझे यहाँ भुलाना शायद उनके लिए सिर्फ एक रस्म अदायगी थी...। मैं इतना तो जानती थीं कोई मुझे देखकर खुश नहीं होगा पर पतिदेव के साथ भी ऐसा करेंगे वो नहीं सोचा था...। मन में चल रहीं उधेड़बुन के साथ मैं पोहा बनाने में लग गयीं....। मेरे दोनों भाइयों को वो खुब भांता था ओर पतिदेव को भी.....। 

कुछ ही देर में पतिदेव जी आ गए और सीधे नहाने चले गए.... । इस बीच दोनों भाई भी उठ गए थे...। लेकिन उनके चेहरे पर रत्ती भर भी खुशी नहीं थीं मुझे देखकर.... दोनों में से किसीने भी ना मेरे पांव छुएं ना मुझसे बात की.... जब मैंने सामने से जाकर बात करनी चाही तो अधमन से सिर्फ हम्म्म्म... हां का जवाब....। खैर मैं फिर से किचन में आ गयीं ओर सभी के लिए नाश्ता सर्व करने लगी....। इनके तैयार होतें ही मेरे दोनों भाई और मम्मी इनके साथ नाश्ता करने बैठ गए....। सभी साधारण सी बातचीत कर रहें थे....। इन सभी को नाश्ता देकर मैं नहाने चल दी....। मेरे तैयार होकर आने तक दोनों भाई पतिदेव के साथ बाहर जा चुके थे.....। मम्मी रसोई घर में थीं....। चूंकि मैंने भी कल रात से कुछ नहीं खाया था इसलिए मैं भी रसोई घर में नाश्ता लेने चली गई....। पर वहां जाकर देखा तो कुछ नहीं था....। 


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4 Comments

Babita patel

07-Apr-2024 11:35 AM

V nice

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Mohammed urooj khan

01-Apr-2024 02:16 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

30-Mar-2024 10:22 PM

बेहतरीन भाग

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